Sunday, September 5, 2010

मायड़ भासा - ओम पुरोहित ' कागद'

राज बणाया राजव्यां,भाषा थरपी ज्यान । 
बिन भाषा रै भायला,क्यां रो राजस्थान ॥१॥ 
रोटी-बेटी आपणी,भाषा अर बोवार । 
राजस्थानी है भाई,आडो क्यूं दरबार ॥२॥ 
राजस्थानी रै साथ में,जनम मरण रो सीर । 
बिन भाषा रै भायला,कुत्तिया खावै खीर ।।३॥ 
पंचायत तो मोकळी,पंच बैठिया मून । 
बिन भाषा रै भायला,च्यारूं कूंटां सून ॥४॥ 
भलो बणायो बाप जी,गूंगो राजस्थान । 
बिन भाषा रै प्रांत तो,बिन देवळ रो थान॥५॥ 
आजादी रै बाद सूं,मून है राजस्थान । 
अपरोगी भाषा अठै,कूकर खुलै जुबान ॥६॥ 
राजस्थान सिरमोड है,मायड भाषा मान । 
दोनां माथै गरब है,दोनां साथै शान ॥७॥ 
बाजर पाकै खेत में,भाषा पाकै हेत । 
दोनां रै छूट्यां पछै,हाथां आवै रेत ॥८॥ 
निज भाषा सूं हेत नीं,पर भाषा सूं हेत । 
जग में हांसी होयसी,सिर में पड्सी रेत ॥९॥ 
निज री भाषा होंवतां,पर भाषा सूं प्रीत । 
ऐडै कुळघातियां रो ,जग में कुण सो मीत ॥१०॥ 
घर दफ़्तर अर बारनै,निज भाषा ई बोल । 
मायड भाषा रै बिना,डांगर जितनो मोल ॥११॥ 
मायड भाषा नीं तजै,डांगर-पंछी-कीट । 
माणस भाषा क्यूं तजै, इतरा क्यूं है ढीट ॥१२॥ 
मायड भाषा रै बिना,देस हुवै परदेस । 
आप तो अबोला फ़िरै,दूजा खोसै केस ॥१३॥ 
भाषा निज री बोलियो,पर भाषा नै छोड । 
पर भाषा बोलै जका,बै पाखंडी मोड ॥१४॥ 
मायड भाषा भली घणी, ज्यूं व्है मीठी खांड । 
पर भाषा नै बोलता,जाबक दीखै भांड ॥१५॥ 
जिण धरती पर बास है,भाषा उण री बोल । 
भाषा साथ मान है , भाषा लारै मोल ॥१६॥ 
मायड भाषा बेलियो,निज रो है सनमान । 
पर भाषा नै बोल कर,क्यूं गमाओ शान ॥१७॥ 
राजस्थानी भाषा नै,जितरो मिलसी मान । 
आन-बान अर शान सूं,निखरसी राजस्थान ॥१८॥ 
धन कमायां नीं मिलै,बो सांचो सनमान । 
मायड भाषा रै बिना,लूंठा खोसै कान ॥१९॥ 
म्हे तो भाया मांगस्यां,सणै मान सनमान । 
राजस्थानी भाषा में,हसतो-बसतो रजथान ॥२०॥ 
निज भाषा नै छोड कर,पर भाषा अपणाय । 
ऐडै पूतां नै देख ,मायड भौम लजाय ॥२१॥ 
भाषा आपणी शान है,भाषा ही है मान । 
भाषा रै ई कारणै,बोलां राजस्थान ॥२२॥ 
मायड भाषा मोवणी,ज्यूं मोत्यां रो हार । 
बिन भाषा रै भायला,सूनो लागै थार ॥२३॥ 
जिण धरती पर जळमियो,भाषा उण री बोल । 
मायड भाषा छोड कर, मती गमाओ डोळ ॥२४॥ 
हिन्दी म्हारो काळजियो,राजस्थानी स ज्यान । 
आं दोन्यूं भाषा बिना,रै’सी कठै पिछाण ॥२५॥ 
राजस्थानी भाषा है,राजस्थान रै साथ । 
पेट आपणा नीं पळै,पर भाषा रै हाथ ॥२६
                                                     ===ओम पुरोहित’कागद’ 
                                                   साभार from www.omkagad.blogspot.com 

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