रूँख लगाया राख्या कोनी मीठा फल भी चाख्या कोनी ,
स्वारथ री ले हाथ कुल्हाड़ी काटन हुया उतावला ,
बोलो किण रा काम सरावाँ किण नै बोलाँ बावला ।
ज्यूँ ज्यूँ रूँख कट्या मंगरा सू मिनखपणै री जड़ कटगी ,
पैला मन में बनी दीवाराँ धरती टुकडाँ मैं बँटगी ,
हेत रेत रै पैंदे दब्ग्यो खेत बदल्ग्या बस्ती में ,
वन रे थोर मिला री चिमण्या धुओं उगल री मस्ती में,
हेत रेत रै पैंदे दब्ग्यो खेत बदल्ग्या बस्ती में ,
वन रे थोर मिला री चिमण्या धुओं उगल री मस्ती में,
कट्या नीम बड पीपल चन्दन , केर, टीमरू, आँवला ,
बोलो किण रा काम सरावाँ किण नै बोलाँ बावला ।
बोलो किण रा काम सरावाँ किण नै बोलाँ बावला ।
चोफेर है हवा धुवादी जहर घुल्यो जिनगाणी में ,
गजब गन्दगी घुल्बा लागी इमरत जैडा पानी में ,
सुख रो सागर सूखो निकल्यो सपना बिक्या उधारी में ,
खुशबू री आसा में उगी बदबू केसर क्यारी में ,
मानसरोवर पूक्या बगला तन उजला मन साँवला ,
बोलो किण रा काम सरावाँ किण नै बोलाँ बावला ।
बगुला री एकत है ठाडी हंस गिणत में थोड़ा है ,
बोलो किण रा काम सरावाँ किण नै बोलाँ बावला ।
बगुला री एकत है ठाडी हंस गिणत में थोड़ा है ,
मानसरोवर गुदलो होगो या हंसा में फोड़ा है ,
झीलां में जलकुम्भी पसरी जल में कमल खिले कोनी ,
चुगबा खातर याँ हँसा ने मोती आज मिले कोनी,
बगुला रे घर माँडा माही रहवे हंस कन्यावाला ,
बोलो किण रा काम सरावाँ किण नै बोलाँ बावला ।
बगुला रे घर माँडा माही रहवे हंस कन्यावाला ,
डोर धनुष री टूटी टूटी तीर पड्या सब तरकश में ,
पडी गुफायाँ सगली सूनी शेर घुस्या सब सरकस में ,
पिंजरा में वनराज पीठ पे चाबूका नित झेले है ,
जंगला माँही चोडै दहाड़े स्यार कबड्डी खेले है ,
भूखा तिसाया हिरन फिरे अर गोठ करे है कावला,
बोलो किण रा काम सरावाँ किण नै बोलाँ बावला ।
शिव मृदुल