एक छोरी काळती हमेशा जीव बाळती,
सींवा जोड़ खेत म्हारो चाव सूँ रूखाळती |(एक छोरी...
ऊंचा ऊंचा टीबडा मै रूंखड़ा रो खेत हो ,
खेत रुजगार म्हारो खेत सूँ ही हेत हो |
हेत हरियाल्या नै तावडा सूँ टाळती || (एक छोरी ...
बेल बीरो शीश फूल फूल बीरी राखड़ी,
एक बार आखडी तो बार बार आखडी |
लाज सूँ झुकी झुकी सी लूगड़ी संभाळती|| (एक छोरी ...
भोत राजी रेवती तो झूपडी बुहारती ,
रूसती तो गाव्ड्या नै बाछड़ा नै मारती |
हेत जै जणावती तो टींडसी उछाळती || (एक छोरी ...
गाँव रै गुवाड़ बीच देखती ना बोलती ,
हेत सूँ बुलावता तो आँख भी ना खोलती |
खेत मै ना जावता तो गाळीयाँ निकालती ||(एक छोरी ....
सींवा जोड़ खेत म्हारो चाव सूँ रूखाळती |(एक छोरी...
ऊंचा ऊंचा टीबडा मै रूंखड़ा रो खेत हो ,
खेत रुजगार म्हारो खेत सूँ ही हेत हो |
हेत हरियाल्या नै तावडा सूँ टाळती || (एक छोरी ...
बेल बीरो शीश फूल फूल बीरी राखड़ी,
एक बार आखडी तो बार बार आखडी |
लाज सूँ झुकी झुकी सी लूगड़ी संभाळती|| (एक छोरी ...
भोत राजी रेवती तो झूपडी बुहारती ,
रूसती तो गाव्ड्या नै बाछड़ा नै मारती |
हेत जै जणावती तो टींडसी उछाळती || (एक छोरी ...
गाँव रै गुवाड़ बीच देखती ना बोलती ,
हेत सूँ बुलावता तो आँख भी ना खोलती |
खेत मै ना जावता तो गाळीयाँ निकालती ||(एक छोरी ....
- भागीरथ सिंह भाग्य
वाह अंकित जी, इस कविता की रग रग में मिठास है। 🙏🙏
ReplyDeleteबहुत ही अच्छी कविता है
ReplyDeleteBhut hi sunder Kavita ye sab Rajasthan me ho skte h
ReplyDelete🙏🏻🙏🏻🙏🏻
ReplyDeleteहेत जै जणावती तो टीडसी उछाळती...
ReplyDeleteकविता की सबसे सुंदर पंक्ति अद्भुत।
बहुत ही सुंदर कविता है (अद्भुत)
ReplyDeleteबेल बीरो शीश फूल फूल बीरी राखड़ी, एक बार आखडी तो बार बार आखडी।
ReplyDeleteइस कविता की सब से सुंदर लाइन
अतिसुंदर
ReplyDeleteबहुत सुंदर
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