देव दाता रो धाम निरालो, थे फतेहपुर आज्यो जी ,
घणी थारी मनवार करांला, सगला ऩे सागे ल्याज्यो जी ||
सेठ, सती और सूरमा, संताँ को है बास अठे ,
छ ऋतु रो आणो जाणो, चन्दन जिस्यो घास अठे,
प्रेम प्रीत री बाताँ करस्यां, मौको मत बिसराज्यो जी,
घणी थारी मनवार करांला, सगला ऩे सागे ल्याज्यो जी ||
बीड़, बावड़ी, जोहड़ न्यारा, देख्याँ मन हरसावे है,
मोर, पपीहा, कोयल बोले , रोम रोम मुसकावे है,
सगला आवो देखण ऩे, ई माटी रो करज चुकाज्यो जी,
घणी थारी मनवार कराँला , सगला ऩे सागे ल्याज्यो जी ||
केर साँगरा की तरकारी, रोटी मोठ बाजरा की बणावाँगा,
देसी घी को दाल चूरमो, थाने घाल जिमावाँगा ,
दूध दही रा ठाठ मोकला, घने चाव सूँ खाज्यो जी,
घणी थारी मनवार करांला, सगला ऩे सागे ल्याज्यो जी ||
ढारागढ़ सा हेली नोरा महलाँ बँगला ऩे मात करे,
कूँट कूँट पर मंदिर देवरा आकाशाँ सूँ बात करे,
संदेसो पढ़कर आया रीज्यो, म्हारो मान बढाज्यो जी,
घणी थारी मनवार करांला, सगला ऩे सागे ल्याज्यो जी ||
- जगदीश 'पेंटर'
अत्ता प्रेम सु बुलावो आयो है,,,तो अब आनू ही पड़सी...:)
ReplyDeleteits too gud, thanx for sharing :)